Sunday, October 13, 2024

इंतजार

हम खामोश रहकर उनकी इंतजार मे हैं
और झगड के इन्कार कर के वो बेचैन जैसी

हात बढाकर पीछें खींचना फितरत उनकी
बाहें हमारी अब भी खुली हैं पहले जैसी

मेरी बातें तो सच थी दिन के धूप जैसी
और उनकी घबराहट न छूटी साये जैसी

पता नही क्या अंजाम है इस इंतजार का
धडकन तेज आज भी है पहले जैसी

कयामत

तेरा चेहरा तेरी आँखें
तेरे होंठ तेरी मुस्कान
तेरी खुशबू तेरे गेसूं
तू नहीं जानती
क्या कयामत हो तुम

मेरी तडप मेरी बेचैनी
मेरी बेबसी मेरी आरजूं
मेरी तनहाई मेरे आँसू
तू नहीं जानती
क्या कयामत हो तुम